शनिवार, 18 जनवरी 2025

वीर महाराणा प्रताप को शत शत नमन

   मित्र जितेंद्र यादव ARP की कलम से


🇮🇳प्रताप का प्रताप🇮🇳

जीवन जिसका सारा बीता ,
 बरछी और कृपाणों में ।
 जान गई पर आँच न आई,
 बिछ गए तीर कमानों में ।

दुश्मन को देकर चुनौती,
आजादी का मूल्य चुकाया ।
घास की सूखी रोटी खाकर भी,
अकबर का मान घटाया था ।

महाकाल का वह भक्त निराला,
जय घोष पर अंबर डोला था ।
बैरी के मस्तक काटने को,
चेतक भी हर -हर बोला था।

धन्य वीर बलिदानी  को,
मातृभूमि अभिमानी को ।
धरा होती जिससे सुशोभित,
ऐसी अमिट कहानी को ।

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