30 साल बाद मैंने अपने सहपाठी को देखा। उसे एक होटल की लॉबी में देखा, वह बहुत साधारण था। वह साधारण कपड़े पहने हुए था। मैंने थोड़ा आराम महसूस किया। वह मेरे पास आया और कहा, “तुमसे मिलकर खुशी हुई।” वह मुझसे आर्थिक रूप से कुछ कमजोर दिखा।
हमने फोन नंबर और संपर्क जानकारी का आदान-प्रदान किया। जब मैंने उसे अपना नंबर दिया, तो उसके चेहरे पर खुशी दिख रही थी। गर्व के साथ मैंने उसे बताया कि मैं अपनी नई रेंज रोवर में उसे घर छोड़ूंगा। मैंने उसे गाड़ी दिखाई। लेकिन उसने मना कर दिया और कहा कि उसने अपनी गाड़ी को बुला लिया है। गाड़ी पुरानी लग रही थी- 2001 होंडा। उसकी उस शांत मुस्कान में आत्मविश्वास झलक रहा था।
अगले दिन, मैंने उसे अपने घर दोपहर के भोजन के लिए बुलाया। मैं उसे अपनी सफलता और संपत्ति दिखाना चाहता था वह अपनी गाड़ी में मेरे घर आया। मेरा घर देखकर वह प्रभावित हुआ, लेकिन वह घर मैंने लोन लेकर खरीदा था। हमने दोपहर का भोजन किया। उसने मुझे बताया कि वह छोटे व्यवसाय और रियल एस्टेट में है।
मैंने पूछा कि मैं उसकी मदद कैसे कर सकता हूं। उसने कहा कि वह ठीक है। मैंने यहाँ तक कहा कि अगर जरूरत हो तो मैं उसके कुछ कर्ज़ चुकाने में मदद कर सकता हूं। उसने मुझे देखकर मुस्कुराया। उसने कहा कि वह जल्द ही मुझे अपने घर बुलाएगा। उसकी पुरानी गाड़ी देखकर मैंने सोचा, “ईश्वर का शुक्रगुजार हूं।”
“सारी उंगलियां बराबर नहीं होतीं,” मैंने सोचा। मैं भाग्यशाली हूं। मैं एक अच्छी कंपनी में काम करता हूं। दो हफ्ते बाद, मैं और मेरी पत्नी उसे मिलने गए। मेरी पत्नी उसके स्टेटस को देखकर प्रभावित नहीं थी और आने में झिझक रही थी। उसके एस्टेट को देखकर, हमने उसके घर का रास्ता पूछा। जब भी किसी ने उसका नाम सुना, उन्होंने सम्मान के साथ बात की।
उसका घर एक सुंदर 4 बेडरूम का बंगला था। सामने 4-5 गाड़ियाँ खड़ी थीं।
हम घर के अंदर गए। अंदर का माहौल सरल और बहुत खूबसूरत था। उसने हमारा गर्मजोशी से स्वागत किया। रात का खाना भी नौकरों ने नहीं दोस्त की बीवी ने परोसा। भोजन के दौरान, उसने मेरे एम.डी. के बारे में पूछा। उसने कहा कि वे दोस्त हैं। उसकी टेबल पर मैंने हमारी कंपनी का एक गिफ्ट देखा। हमारी कंपनी का 38% शेयर उसकी कंपनी के पास था।
मैंने उससे इसके बारे में पूछा। वह मुस्कुराया और कहा, “यह मेरी कंपनी है।” यह एस्टेट भी उसका था। मुझे नहीं पता, मैंने कब उसे “सर” कहकर पुकारा। मैं उससे प्रभावित हो गया। मैंने नम्रता का एक बड़ा पाठ सीखा। बाहरी दिखावा भ्रमित कर सकता है। मैं अपने हालात पर विचार करने लगा। मैं कर्ज़ में जी रहा हूं, लेकिन जो मुझे वेतन देता है, वह शांत और सादगी में जी रहा है।
“गहरी नदी हमेशा शांत बहती है” - यानि सचमुच की सफलता और संतोष अक्सर बाहरी शोर-शराबे से दूर होती है। उसने बाहरी दिखावे के बजाय अंदरूनी सच्चाई- समझदार निवेश, कंपनी में हिस्सेदारी, सादगी भरा जीवन-को महत्व दिया।
मेरी आँखों से मानो कोई पर्दा उठ गया हो, यह एहसास हुआ कि शांति और आत्म-संतोष ही असली अमीरी है। यह जानते हुए भी कि कार, बंगले और महंगे गेजेट्स भरी आडम्बर युक्त ज़िन्दगी के लिए कर्ज से जूझना पड़ता है, हम उसके अंदर धंसते चले जाते हैं, भूल जाते हैं कि अंदर की शांति और ईमानदारी असली खजाना है।
दूसरों के लिए दिखावे की जिंदगी जीने के बजाय, अपनी शांति के लिए जियो।
असली जिन्दगी
#कहानी #प्रेरणादायक
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