"हर पति-पत्नी को यह ज़रूर पढ़ना चाहिए"
कभी गौर किया है?
आपको प्रेमी-प्रेमिका को अक्सर रेस्तरां, पार्क, सिनेमाघर, नदी या झील के किनारे घूमते-फिरते दिखेंगे।
परंतु यही जगहें जब वैवाहिक जीवन की बात आती है, तो वहाँ पति-पत्नी का साथ दिखना दुर्लभ हो जाता है।
यह कड़वा है, लेकिन पूर्णतः सत्य है।
प्रेमिका के लिए नया मोबाइल खरीदना गर्व की बात लगती है,
लेकिन पत्नी के लिए एक साधारण सी लाल चूड़ी खरीदने में झुंझलाहट महसूस होती है।
प्रेमिका से रातभर बातें करना "सच्चा प्रेम" कहलाता है,
मगर पत्नी से कुछ पल की बातचीत भी "बेवकूफी" लगती है।
प्रेमिका को लाल गुलाब पसंद है, तो पूरी दुनिया छानकर एक गुलाब लाने की कोशिश होती है।
लेकिन पत्नी की उसी माँग को "नखरे" कहा जाता है।
प्रेमिका के हाथ की बेस्वाद खिचड़ी भी अमृत लगती है,
जबकि पत्नी के भोजन में एक चुटकी नमक की कमी भी अपराध बन जाती है।
प्रेमिका के जन्मदिन पर तो योजनाओं की भरमार होती है—सरप्राइज़, गिफ्ट, केक...
पत्नी के जन्मदिन पर वही सब खर्चा लगने लगता है।
प्रेमिका के लिए ३० रुपये की गोलगप्पे खाने ३० किलोमीटर जाना भी रोमांस है,
पत्नी के लिए एक दिन का समय निकालना भी "परेशानी" बन जाता है।
प्रेमिका अगर बीमार हो जाए, तो हर १० मिनट में कॉल कर हालचाल पूछना "केयर" कहलाता है।
लेकिन पत्नी बीमार हो तो ख्याल रखना भी "बोझ" लगने लगता है।
हम एक अनिश्चित, अस्थायी रिश्ते को जितना मान देते हैं,
उसका एक अंश भी अगर अपने वैवाहिक रिश्ते को दें,
तो न तो प्यार की कमी होगी,
न ही रिश्तों के टूटने की नौबत आएगी।
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याद रखें—
"प्रेम केवल पाने का नाम नहीं, उसे निभाने का नाम है।"
जिसने हर सुबह आपके लिए चाय बनाई है,
जिसने हर रात आपकी थकान को समझा है,
जिसने हर खुशी में आपके साथ मुस्कुराया है,
जिसने हर दुःख में बिना बोले आपका हाथ थामा है—
वही आपकी असली प्रेमिका है, वही आपकी पत्नी है।
उसे नज़रअंदाज़ मत कीजिए,
उसे प्यार दीजिए,
सम्मान दीजिए।
क्योंकि प्रेमी तो बहुत मिल जाएंगे,
लेकिन पत्नी... एक ही होती है।